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शिमला – भवन नियमितिकरण, ग्रीन एरिया, कोर एरिया, प्लालिंग एरिया में अलग-अलग तरह की समस्याएं झेल रहे प्रभावितों के मुद्दों पर लामबंदी करने के लिए हिमाचल प्रदेश भूमि एवं भवन संघर्ष समिति का गठन किया गया। संघर्ष समिति में संयोजक गोविंद चतरांटा ने बताया कि समिति अपने आगामी संघर्ष के लिए प्रदेश भर के प्रभावितों और उनके संगठनों और संस्थाओं का समर्थन हासिल करेगी। इसके लिए संस्थाओं से आग्रह किया जाएगा कि वे अपनी संस्था या संगठन की ओर से संघर्ष के समर्थन में समिति को प्रस्ताव पारित करके भेजे और साथ ही अपने सुझाव भी दें, ताकि मुद्दे का कोई पक्ष छूट न जाए। उन्होंने बताया कि कोई भी आदेश या कानून पिछली स्थिति को बरकरार रखते हुए आगे के लिए नए मानक तय करता है, लेकिन भवन नियमितिकरण के संदर्भ में यह उल्टी गंगा बह रही है कि जो निर्माण हो चुका है, उसे अवैध करार देकर उसे गिराने या संपत्ति मालिकों को हृास करने के नियम और कानून बनाए जा रहे हैं। बैठक में टीसीपी की अंतिरम विकास योजना को अंतिम रूप देने के लिए सरकार और टीसीपी पर बनाने का मुद्दा गंभीरता से सामने आया। संघर्ष समिति के सदस्य संजीव पंडित के इस प्रस्ताव पर सदस्यों से एकमत सहमति जताते हुए कहा कि अगर सरकार अंतिरम विकास योजना को अंतिम रूप देती है, तो स्वाभाविक तौर पर वर्तमान निर्माण पर से अवैध या अनियमित निर्माण का टैग हट जाएगा और भविष्य के लिए निर्माण कार्य अधिक सुनियोजित तरीके से हो पाएगा। संघर्ष समिति में कुछ नए सदस्यों बणी पंचायत के प्रधान राजेन्द्र झिना, शटैयां पंचायत के प्रधान चंदन सिंह जोगी, जगमोहन ठाकुर, सत्यवान पुंडीर, कंवर योगेंद्र सिंह, बीडी शर्मा को शामिल किया गया।

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