शिमला – हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनीता ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही महत्वकांक्षी कर्मचारी नेता अपनी राजीनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त हो गए हैं। प्रदेश में एक अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ है जबकि सरकार बदलते ही एक नहीं तीन तीन महासंघ प्रदेश के कर्मचारियों का मुखिया बताने में कर्मचारियों को गुमराह कर रहे हैं।
सुनीता ठाकुर ने कहा कि कर्मचारी संघ नेता एनआर ठाकुर ने मंडी, अश्वनी ठाकुर ने शिमला में और हाल ही में विनोद ठाकुर ने बिलासपुर में चुनाव करवाकर खुद को प्रदेश के सभी कर्मचारियों का नेता बताया है। यहां केवल विभागों की यूनियनों के मुखियाओं ने चुनावों में भाग लिया लेकिन कर्मचारी किसके साथ जाएं या न जाएं इस बात को लेकर पसोपेश में हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर कर्मचारी महासंघ है किसका सरकार को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए अन्यथा नेताओं की गुटबाजी में कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला।
सुनीता ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार ने कर्मचारियों की गुटबाजी को खत्म कर जोगटा को अध्यक्ष तो सुरेंद्र मनकोटिया को राज्य कर्मचारी कल्याण बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया। जेसीसी करवाई और कर्मचारियों की मांगों को पूरा कर उन्हें लाभ दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कर्मचारी हितैषी थे। लेकिन वर्तमान हालात में कर्मचारी हित कैसे सुधरेंगे, जब गुटबाजी इस कदर हावी होगी।
सरकार कोई भी हो कर्मचारियों को एकजुटता दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को ग्रेड-पे और पे-बेंड 2012 से नहीं मिला। इनमें कर्मचारियों की करीब 25 से ज्यादा कैटेगरी हैं जिन्हें अब तक इसका लाभ नही मिला। कर्मचारी महासंघ ने बार-बार सरकारों से इसकी मांग की। वहीं पे-स्केल भी 2016 से ड्यू है जिसे अभी भी नहीं दिया गया है।
सुनीता ठाकुर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि कर्मचारियों की लंबित मांगो को पूरा करने के लिए जल्द जेसीसी बुलाई जाए।