वैक्सीन क्या है? क्यों चाहिए हर किसी को टीका?
क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटी सी इंजेक्शन से आपका शरीर बीमारी से लड़ना सीख जाता है? यही तो वैक्सीन का असली जादू है। आम भाषा में कहें तो वैक्सीन एक सुरक्षित तरीका है जिससे आपका इम्यून सिस्टम रोगाणु को पहचानना और जल्दी मारना सीखता है।
वैक्सीन बनाते समय वैज्ञानिक रोगजनक‑के कुछ हिस्से या उसकी कमजोर रूप को इस्तेमाल करते हैं। जब ये हिस्से शरीर में पहुँचते हैं, तो आपका शरीर बिना असली बीमारी के ही एंटीबॉडी बनाता है। अगली बार वही रोग आएगा, तो आपका शरीर पहले से तैयार रहता है और रोग का असर कम या नहीं भी होता।
अब सवाल यही बचता है – हमें वैक्सीन क्यों चाहिए? सिर्फ खुद की नहीं, बल्कि हमारे आसपास के लोगों की भी सुरक्षा के लिए। अगर आप वैक्सीन ले लेते हैं, तो आप उन लोगों को भी बचाते हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं मिल पा रही, जैसे बच्चें, बुजुर्ग या कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोग। इसे अक्सर ‘हैरड इम्यूनिटी’ कहा जाता है, यानी बीमारी का फैलाव रोकना।
वैक्सीन के प्रकार
वैक्सीन एक ही तरह की नहीं होती। कुछ मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:
लाइव अटेन्युएटेड वैक्सीन: इनमें रोगजनक को बहुत ही कमजोर रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये शरीर में धीरे‑धीरे काम करती है और लंबे समय तक सुरक्षा देती है। उदाहरण‑है टिटनस‑डिफ्थेरिया (Td) और रूट वैक्सीन।
इनएक्टिवेटेड वैक्सीन: इसमें रोगजनक को पूरी तरह मार दिया जाता है, फिर भी उसका प्रोटीन रहता है जिससे एंटीबॉडी बनते हैं। ये वैक्सीन सुरक्षित होती हैं, पर कुछ मामलों में दो‑तीन डोज़ की जरूरत पड़ती है। जैसे पॉलियो इनएक्टिवेटेड वैक्सीन।
सबयूनिट/कॉनजुगेटेड वैक्सीन: सिर्फ रोगजनक का विशेष हिस्सा (जैसे प्रोटीन) इस्तेमाल किया जाता है। इससे साइड‑इफ़ेक्ट्स कम होते हैं। हैपेटाइटिस बी और HPV वैक्सीन इस श्रेणी में आती हैं।
mRNA वैक्सीन: हाल ही में COVID‑19 के कारण सबको पता चला, ये वैक्सीन जीन की सूचना देती है जिससे शरीर अपनी ही प्रोटीन बनाता है और एंटीबॉडी बनते हैं। इस तकनीक से भविष्य में कई बीमारियों के लिए वैक्सीन बनना आसान हो सकता है।
टीकाकरण के सामान्य सवाल
की वैक्सीन लेने से दर्द होता है? थोड़ी सी चुभन तो महसूस होगी, पर बहुत ज़्यादा नहीं। अगर दर्द की चिंता है तो इंजेक्शन के बाद थोड़ा दाब़ लगाना मदद कर सकता है।
क्या वैक्सीन के साइड‑इफ़ेक्ट्स होते हैं? हाँ, हल्के साइड‑इफ़ेक्ट्स जैसे बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन या हल्का दर्द सामान्य है और दो‑तीन दिन में ठीक हो जाता है। गंभीर प्रतिक्रिया बहुत कम होती है और डॉक्टर की निगरानी में तुरंत उपचार किया जाता है।
मैं कब वैक्सीन लगवाऊँ? अधिकांश वैक्सीन शैशवावस्था से लेकर बड़़े उम्र तक के लिए समय‑समय पर निर्धारित होती हैं। भारत में राष्ट्रीय इम्युनाइज़ेशन शेड्यूल के हिसाब से आप अपने बालक के लिए तुरंत शुरू कर सकते हैं।
क्या वैक्सीन का कोई मिथक सही है? कई बार लोग कहते हैं कि वैक्सीन्स से इंफ़र्टिलिटी या ऑटोइम्यून बीमारी होती है। ये सब दावे वैज्ञानिक तौर पर खंडित हैं। वैक्सीन केवल रोगजनक को पहचानने में मदद करती है, वह आपके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती।
अगर आप हिमाचल प्रदेश में रहते हैं और वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या सरकारी अस्पताल में मुफ्त टीकाकरण उपलब्ध है। वर्तमान में कोरोना, फ्लू, टिटनस आदि के लिये नियमित शेड्यूल चलता है। बस अपना एपीडेमिक कार्ड या पहचान पत्र लेकर जाएँ, और डॉक्टर से अपनी जरूरत के अनुसार वैक्सीन ले लें।
संक्षेप में, वैक्सीन आपके और आपके परिवार की सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद तरीका है। छोटी सी इंजेक्शन से बड़ी बीमारी से बचाव मिल सकता है, इसलिए देर न करें, आज ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर वैक्सीन ले लें।