रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए तीसरे और अंतिम एकदिवसीय मैच में पाकिस्तान ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर सीरीज में 3-0 की साफ जीत दर्ज की। यह जीत सिर्फ एक मैच की बात नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक अधिकार की स्थापना थी — पाकिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ ODI सीरीज में अब तक की 15वीं जीत दर्ज की, और चौथी बार लगातार इस टीम को सफलतापूर्वक धूल चटाई। यह जीत न सिर्फ टीम के आत्मविश्वास को बढ़ा रही है, बल्कि अगले कई महीनों में उनके लिए एक बड़ा आधार भी बन गई है।
रिजवान और तलात ने बनाया नाटकीय अंत
श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, लेकिन उनकी पारी बिना किसी बड़ी पार्टनरशिप के 211 रन पर ही समाप्त हो गई। 45.2 ओवर में टीम के सभी बल्लेबाज अकेले नहीं खेल पाए। कुसल मेंडिस (34), सदीरा समरविक्रमा (48) और पवन रथनायके (32) ने थोड़ी राहत दी, लेकिन जब वेंडरसे ने 3 विकेट लिए, तो पाकिस्तान की गेंदबाजी ने दबाव बनाया।
जवाब में पाकिस्तान की बल्लेबाजी एक नियंत्रित और बिना डर के अभियान बन गई। मोहम्मद रिजवान ने 92 गेंदों में अपराजित 61 रन बनाए — उनकी शांति और समय का बेहतरीन उपयोग देखकर लगा जैसे कोई राजकुमार धीरे-धीरे राज्य का नियंत्रण संभाल रहा हो। ओपनर फाखर जमान ने 45 गेंदों में 55 रनों का तेज आरंभ किया, जबकि हुसैन तलात ने 57 गेंदों में अपराजित 42 रन बनाकर अंतिम ओवरों में जिम्मेदारी संभाली। उनकी टीम की बल्लेबाजी ने दिखाया कि अब यह टीम सिर्फ बाबर और रिजवान पर निर्भर नहीं है।
गेंदबाजी में वासिम जूनियर का नाम चमका
पाकिस्तान की गेंदबाजी का नायक था मोहम्मद वासिम जूनियर। उन्होंने 10 ओवर में केवल 47 रन देकर 3 विकेट लिए — उनकी गति, वक्रता और लेगस्पिन के बाद गेंद की रिवर्स ड्रिफ्ट ने श्रीलंका के बल्लेबाजों को बेकाबू कर दिया। फैसल अक्रम और हरिस राउफ ने भी दो-दो विकेट लेकर दबाव बनाए रखा। यह गेंदबाजी टीम की अब तक की सबसे संतुलित पारी थी।
पिछले दो मैचों में भी यही ताकत दिखी थी। पहले मैच में 299/5 का स्कोर बनाकर पाकिस्तान ने 293/9 से 6 रन से जीत हासिल की। दूसरे मैच में बाबर आजम ने 119 गेंदों में 102 रन बनाकर श्रीलंका के 288 के लक्ष्य को 48.2 ओवर में 8 विकेट से पार कर दिया। उस मैच में रिजवान ने 51 रन बनाए और दोनों के बीच 109 गेंदों में 112 रन की जोड़ी ने दिखाया कि पाकिस्तान की बल्लेबाजी अब एक टूलबॉक्स है, न कि एक व्यक्ति की शान।
श्रीलंका की टीम का संकट: अनुभव और निर्णय दोनों खाली
श्रीलंका की टीम इस सीरीज में लगातार एक जैसी गलतियाँ कर रही थी। शुरुआत अच्छी होती, लेकिन मध्यक्रम पर विकेट गिरते ही सब ठप्प हो जाता। कप्तान चारिथ असलंका के नेतृत्व में टीम के पास एक भी बड़ा बल्लेबाज नहीं था जो दबाव में अपना स्थान बना सके। हसरंगा ने दूसरे मैच में 26 गेंदों में 37 रन बनाकर अपनी ताकत दिखाई, लेकिन उनके अलावा किसी का नाम नहीं चमका।
यह सीरीज शुरू होने से पहले ही श्रीलंका के टूर रद्द होने की चिंताओं के बीच आया था। लेकिन उन्होंने खेलने का फैसला किया — और खेलने के बाद यह साफ हो गया कि उनके पास न सिर्फ अनुभव की कमी है, बल्कि रणनीति की भी गहरी खामी है।
रावलपिंडी का मैदान: बल्लेबाजी का स्वर्ग, गेंदबाजी का चुनौती
तीनों मैच एक ही मैदान पर खेले गए — रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम। यहाँ की पिच आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए सुविधाजनक होती है, लेकिन पाकिस्तान की गेंदबाजी ने इसे अपने फायदे में बदल दिया। उन्होंने गेंद को गति देकर, बाहर की ओर ले जाकर और गेंद के आर्क को समझकर बल्लेबाजों को भ्रमित किया।
इस सीरीज के बाद जब बाबर आजम ने कहा, "हमने जो सपना देखा था, वो सब हुआ," तो यह बात सिर्फ शब्दों की नहीं, बल्कि एक टीम के आत्मविश्वास की वास्तविकता थी।
अगला कदम: विश्व कप की तैयारी और नए नेता
इस जीत के बाद पाकिस्तान की टीम अगले वर्ष के ICC विश्व कप की तैयारी में एक नए स्तर पर पहुँच गई है। रिजवान अब टीम के नेता बन चुके हैं — वह बल्लेबाजी के साथ-साथ विकेटकीपिंग का जिम्मा भी संभाल रहे हैं। वासिम जूनियर और फैसल अक्रम जैसे युवा खिलाड़ियों ने अपनी जगह बना ली है।
श्रीलंका के लिए अब समय है कि वे अपनी टीम को फिर से बनाएँ। उनके पास युवा खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें अनुभवी लोगों की नेतृत्व चाहिए। अगर वे इस असफलता को सीख के रूप में नहीं लेते, तो अगले दो साल उनके लिए और भी कठिन हो सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पाकिस्तान ने श्रीलंका के खिलाफ कितनी बार ODI सीरीज जीती है?
यह जीत पाकिस्तान की श्रीलंका के खिलाफ ODI सीरीज में 15वीं जीत है। इससे पहले वे 2022, 2023 और 2024 में भी लगातार श्रीलंका को हरा चुके हैं। इस दौरान श्रीलंका ने केवल एक बार 2019 में जीत हासिल की थी।
रिजवान ने इस सीरीज में कितने रन बनाए?
मोहम्मद रिजवान ने तीनों मैचों में कुल 194 रन बनाए। उन्होंने पहले मैच में 51, दूसरे में 51 और तीसरे में 61 अपराजित रन बनाए। उनका औसत 64.66 था और उन्होंने तीनों मैचों में शतक के लिए बहुत करीब रहे।
श्रीलंका के लिए इस सीरीज का सबसे बड़ा सबक क्या है?
श्रीलंका को यह समझना होगा कि बल्लेबाजी में अच्छी शुरुआत अकेले काफी नहीं है। उनके मध्यक्रम में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं है जो 70+ रन बना सके। उन्हें लंबे समय तक बल्ला चलाने वाले बल्लेबाजों की आवश्यकता है, न कि बस तेज बल्लेबाजों की।
पाकिस्तान की टीम में कौन अगले विश्व कप के लिए सबसे अधिक आशावादी है?
मोहम्मद वासिम जूनियर अब पाकिस्तान की गेंदबाजी का आधार बन चुके हैं। उनकी गेंदबाजी की विविधता, गति और नियंत्रण विश्व कप जैसे बड़े मैचों के लिए बेहद उपयोगी होगा। उनके साथ हरिस राउफ और फैसल अक्रम की जोड़ी भी बहुत शक्तिशाली है।